बाल गजल-२०
संगी सभके संगे लै छी
चल भैया पिकनिक मनबै छी
माँ देतै चिक्कस आ चाउर
बांकी बाबू के कहि दै छी
चुल्हा जारनि बासन आनै
आ सभकिछु मिलिजुलि पकबै छी
तीमन करुगर मिठगर तस्मइ
पूरी आ हलुआ बनबै छी
केरा पातक थारी सुन्नर
तूं सभ बैसै हम परसै छी
"नवलसँ" कहि दे एतै ओहो
झगड़ा-झंझट सभ बिसरै छी
*मात्रा क्रम-आठ टा दीर्घ सभ पांतिमे
(तिथि-१२.०१.२०१३)
©पंकज चौधरी "नवलश्री"
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