बाल गजल-84
हाट चल हाथकेँ पकड़ि भैया हमर
भीड़मे जाउँ नै बिछड़ि भैया हमर
तूँ हमर माँ तुँहीं बाप छें भाइ रौ
गेल जखनसँ घरे उजरि भैया हमर
भूख लागैत अछि मोन कानैत अछि
संगमे तूँ तँ नै असरि भैया हमर
गाम छल कतऽ अपन लोक छल कतऽ अपन
दोस इस्कूल सब बिसरि भैया हमर
मोन नै छोट कर कर्मपर चोट कर
आब मेहनतपर नजरि भैया हमर
आनलनि भात रोटी "अमित" लेल यौ
नै बिसरबै तँ ई उमरि भैया हमर
फाइलुन
212 चारि बेर सब पाँतिमे
बहरे-मुतदारिक
हाट चल हाथकेँ पकड़ि भैया हमर
भीड़मे जाउँ नै बिछड़ि भैया हमर
तूँ हमर माँ तुँहीं बाप छें भाइ रौ
गेल जखनसँ घरे उजरि भैया हमर
भूख लागैत अछि मोन कानैत अछि
संगमे तूँ तँ नै असरि भैया हमर
गाम छल कतऽ अपन लोक छल कतऽ अपन
दोस इस्कूल सब बिसरि भैया हमर
मोन नै छोट कर कर्मपर चोट कर
आब मेहनतपर नजरि भैया हमर
आनलनि भात रोटी "अमित" लेल यौ
नै बिसरबै तँ ई उमरि भैया हमर
फाइलुन
212 चारि बेर सब पाँतिमे
बहरे-मुतदारिक
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