गजल-1.28
किछु जागलनि किछु जागि रहल छथि एखन
ई खाप नगरी* त्यागि रहल छथि एखन
फैसनक झंझामे गमा कऽ निज इज्जत
लूटल पथिक सन लागि रहल छथि एखन
नै चूल्हिमे छाउर महग जँ युग भेलै
डीजलक कारसँ भागि रहल छथि एखन
नारीक सब किछु नाथ हुनक धरतीपर
सहि दर्द टेमी दागि रहल छथि एखन
चिचिआ रहल छल सतत ओ तँ बोडरपर
बम खा कऽ गुमसुम लागि रहल छथि एखन
केकर समीक्षा करब किछु जँ लिखले नै
गजलसँ "अमित" बड भागि रहल छथि एखन
*खाप पंचायत
मुस्तफइलुन-मुस्तफइलुन-मफाईलुन
2212-2212-1222
अमित मिश्र
किछु जागलनि किछु जागि रहल छथि एखन
ई खाप नगरी* त्यागि रहल छथि एखन
फैसनक झंझामे गमा कऽ निज इज्जत
लूटल पथिक सन लागि रहल छथि एखन
नै चूल्हिमे छाउर महग जँ युग भेलै
डीजलक कारसँ भागि रहल छथि एखन
नारीक सब किछु नाथ हुनक धरतीपर
सहि दर्द टेमी दागि रहल छथि एखन
चिचिआ रहल छल सतत ओ तँ बोडरपर
बम खा कऽ गुमसुम लागि रहल छथि एखन
केकर समीक्षा करब किछु जँ लिखले नै
गजलसँ "अमित" बड भागि रहल छथि एखन
*खाप पंचायत
मुस्तफइलुन-मुस्तफइलुन-मफाईलुन
2212-2212-1222
अमित मिश्र
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें