सोमवार, 14 जनवरी 2013

गजल

गजल

जँ सागर भरि घाम खसलै
तखन आँगन चुल्हि जड़लै

मरल जहिया लाज ककरो
हमर तहिया केश कटलै

कतहुँ नै एकान्त भेटल
सगर मन अपनेसँ लड़लै

बनल राधा आगि आजुक
किशन मुरली छोड़ि टहलै

नगर बाजै बोल दोसर
कहाँ पहिलुक गाम बसलै

कतऽसँ एलै पत्र फाटल
पता नै बिनु नाउ छपलै

टहलि एलौं देश दुनियाँ
कहाँ मोनक वेग थम्हलै

मफाइलुन-फाइलातुन
1222-2122
बहरे मजरिअ

अमित मिश्र

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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों