गुरुवार, 31 जनवरी 2013

गजल

गजल-1.34

मूँहपर जाबी बान्हल अछि
गारि मारिसँ जी दागल अछि

नै बजै लुब लुब जँहि तँहि तेँ
छाप कमजोरक छापल अछि

नव तलाकसँ बड सीताकेँ
संग निज रामक छूटल अछि

काज किछु नै नामे बिकतै
ब्राँड सुनि मेला लागल अछि

एक टा लुत्ती बेसी छै
आगि ईर्ष्या सन धधकल अछि

"अमित" बूझै बड़का काबिल
तेँ समाजसँ ओ बारल अछि

2122-2222
अमित मिश्र

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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों