गुरुवार, 31 जनवरी 2013

गजल

गजल-1.30

घर घरमे तँ रावण बसल ,छै राम कतऽ
लंका कलयुगक बड ,अयोध्या धाम कतऽ

अधिकारी अहुरिया भले घुसहा कटै
टाका खूब पीटै मुदा आराम कतऽ

ओ जे मीत बनि दर्द दुख सबहक हरै
ओकर घाव भरि देत एहन बाम कतऽ

धैरज धरब से आब नै हिम्मत बचल
ई मरुभूमिमे लोक-बेदक गाम कतऽ

चोरक लेल चोरीसँ बढ़ियाँ काज नै
एहन लोकमे मोहनतकेँ घाम कतऽ

निर्धन लेल छै लिखल बस भूखल रहब
झड़कल देहकेँ पेठियोमे दाम कतऽ

मफाऊलातु-मुस्तफइलुन-मुस्तफइलुन
2221-2212-2212
अमित मिश्र

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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों