गुरुवार, 31 जनवरी 2013

बाल गजल

बाल गजल-101

काँपि रहलै मोबाईल बाजि रहलै ओकर टोन
देख कुचरै छै कौआ जकाँ पड़ल ओ टेलीफोन

गीत गाबै चमकै भूक भाक लागै छै बड नीक
झूमि रहलै सबहक देह नाँच करबै हम भरि मोन

छौंक लागल भनसाघर गमकल बनलै तरुआ फेर
लेर अपने बाहर होइ पड़ल नै छै बेसी नोन

एक बीतक चाली छै पसरल आँगन कादो कीच
आब कोना करबै खेल बचल नै छै कोना कोण

आब नै खेबौ बासी बचल भऽ जेबै हम बेमार
काल्हि कहलनि डाक्टर सबसँ "अमित" जीवन सबहक सोन

फाइलातुन-मफऊलातु
2122-2221 दू बेर सब पाँतिमे

अमित मिश्र

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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों