हाथ बढ़लै दुन्नू दिससँ
डेग उठलै दुन्नू दिससँ
थरथराइत देहक भास
ठोर सटलै दुन्नू दिससँ
कहि रहल ई गर्मी आब
आगि लगलै दुन्नू दिससँ
लात फेकै छै जनतंत्र
लोक फँसलै दुन्नू दिससँ
घोघ उठलै साँझे राति
चान उगलै दुन्नू दिससँ
बान्ह टुटलै एलै पानि
लोक भगलै दुन्नू दिससँ
दीर्घ-लघु-दीर्घ-दीर्घ + दीर्घ-दीर्घ-दीर्घ-लघु हरेक पाँतिमे
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