शुक्रवार, 25 जनवरी 2013

गजल


हाथ बढ़लै दुन्नू दिससँ
डेग उठलै दुन्नू दिससँ

थरथराइत देहक भास
ठोर सटलै दुन्नू दिससँ

कहि रहल ई गर्मी आब
आगि लगलै दुन्नू दिससँ

लात फेकै छै जनतंत्र
लोक फँसलै दुन्नू दिससँ

घोघ उठलै साँझे राति
चान उगलै दुन्नू दिससँ

बान्ह टुटलै एलै पानि
लोक भगलै दुन्नू दिससँ


दीर्घ-लघु-दीर्घ-दीर्घ + दीर्घ-दीर्घ-दीर्घ-लघु हरेक पाँतिमे

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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों