बाल गजल-92
इमली उपर चढ़ि भूत बैसल रहै छै
की राति भरि तेँ गाछ जोरसँ बजै छै
पाथर किए उठि जाइ छै पानिमे कह
हल्लुक उतप्लावन बलसँ बड लगै छै
लागैछ खेलक बाद बड भूख सबकेँ
ई खेल सबमे बहुत ऊर्जा जड़ै छै
एना किए दिन राति सब होइ छैकह
धरती सदति सूरजक चक्कर घुमै छै
ई जाड़ गर्मी सब कखन होइ छै कह
सूरज जखन लऽग दूर जा जा बसै छै
मुस्तफइलुन-मुस् तफइलुन-फाइलातुन
2212-2212-2122
बहरे-सरीअ
अमित मिश्र
इमली उपर चढ़ि भूत बैसल रहै छै
की राति भरि तेँ गाछ जोरसँ बजै छै
पाथर किए उठि जाइ छै पानिमे कह
हल्लुक उतप्लावन बलसँ बड लगै छै
लागैछ खेलक बाद बड भूख सबकेँ
ई खेल सबमे बहुत ऊर्जा जड़ै छै
एना किए दिन राति सब होइ छैकह
धरती सदति सूरजक चक्कर घुमै छै
ई जाड़ गर्मी सब कखन होइ छै कह
सूरज जखन लऽग दूर जा जा बसै छै
मुस्तफइलुन-मुस् तफइलुन-फाइलातुन
2212-2212-2122
बहरे-सरीअ
अमित मिश्र
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