गुरुवार, 31 जनवरी 2013

गजल

गजल-1.32

निज मोनमे सबटा जोड़
भरि नगरमे बहुते चोर

बड दर्द दै छूटल घाव
नै गड़ल मुर्दाकेँ कोर

कानब-खिजब कर तूँ बन्न
शरबत तँ नै छै ई नोर

नारी बढ़ल आगू सबसँ
घोघ प्रथा एखन तोड़

किछु किछु जमा सब दिन करब
जरुरति पड़ै चुकरी फोड़

ककरो खबरि नै छै "अमित"
लेतै कखन जीवन मोड़

मुस्तफइलुन-मफऊलात
2212-2221
बहरे-मुन्सरह

अमित मिश्र

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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों