सोमवार, 14 जनवरी 2013

गजल

भाइ भाइसँ  बैरीन केलक रुपैया
गाम छोड़ा सभकेँ भगेलक रुपैया

आँखि मुँह मुनि परदेसमे जा कऽ बसलहुँ
सगर बुझितो   माहुर पियेलक रुपैया

आइड़े आइड़ खर बटोरैत माए
खेतमे बाबूकेँ कनेलक रुपैया

गोल चश्मा मुन्सी लगा ताकए की
खून चुसि चुसि सभटा दबेलक रुपैया

भाइ बाबूकेँ मनुबिसरि जाउ छनमे
राज नै आब तँ घर चलेलक रुपैया

(बहरे खफीक, मात्रा क्रम - २१२२-२२१२-२१२२)

@ जगदानन्द झा ‘मनु’ 

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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों