सोमवार, 14 जनवरी 2013

गजल

गजल

चन्नोपर तँ दुनियाँ बसि सकै छै आब
लेबै ठानि यदि के रोकि सकतै आब

जीतक लेल मिसियो भरि तँ चाही भूख
भूखल शेर लऽग ई मृग कतसँ बचतै आब

मंदिर बनल ने मस्जिद बनल चौकपर
नव घरमे शराबक पानि बहतै आब

अपने घर तँ ठनका खसल भैयारीसँ
माँ बापो बटैया लागि जेतै आब

साहित्यो बपौटी बनल बिकतै "अमित"
सत्यक फेर देखू घेँट कटतै आब

मफऊलातु
2221 तीन बेर

अमित मिश्र

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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों