कता
जे नै नचनियाँ ओकरा नचाबै परिस्थिति
अपन मोनक नै चलै छै एहिमे फँसि कऽ
वीर मनुखकेँ छानि कऽ निकालै परिस्थिति
जेना माँछ निकालै मलहा कादोमे धसि कऽ
जे नै नचनियाँ ओकरा नचाबै परिस्थिति
अपन मोनक नै चलै छै एहिमे फँसि कऽ
वीर मनुखकेँ छानि कऽ निकालै परिस्थिति
जेना माँछ निकालै मलहा कादोमे धसि कऽ
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें