गजल
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गलती हमर उपराग दिअ
बिनु बातक तँ नै दाग दिअ
समधिसँ समधिकेँ माँग छै
हमरे चरणमे पाग दिअ
अंतर जातिकेँ नै कतौ
एहन जे बजै काग दिअ
नै छै नेह ओ मधुरमे
अपनहि घरक नव साग दिअ
झूठो कह जँ भेटय खुशी
मोनक घटल अनुराग दिअ
मफऊलात-मुस्तफइलुन
2221-2212
बहरे-मुक्तजिब
अमित मिश्र
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