गजल-1.31
कर खाली तैयो नेहक नगदी हेबे करतै
सिखिते छी नवसिखुआ छी गलती हेबे करतै
खाली घर भूतक घर खाली माँथा शैतानक
तेँ बैसल सब छौड़ा खुरलुच्ची हेबे करतै
देखल फाटल अंगा दुसलनि जे सब दोसरकेँ
निज घर फूटल बासनमे सानी हेबे करतै
आरक्षण कोटामे बनलै सरकारी नोकर
तैयो अगिला कुर्सीपर ज्ञानी हेबे करतै
कोना दिन आजुक घुसकत बिनु सजनी काटै घर
छै चिन्ता ,बिनु हमरा कोना सजनी हेबे करतै
बचले रह बौआ विज्ञापन सन फूसिक खेलसँ
चलचित्रक घर नै सत्यक वाणी हेबे करतै
13 टा दीर्घ सब पाँतिमे
अमित मिश्र
कर खाली तैयो नेहक नगदी हेबे करतै
सिखिते छी नवसिखुआ छी गलती हेबे करतै
खाली घर भूतक घर खाली माँथा शैतानक
तेँ बैसल सब छौड़ा खुरलुच्ची हेबे करतै
देखल फाटल अंगा दुसलनि जे सब दोसरकेँ
निज घर फूटल बासनमे सानी हेबे करतै
आरक्षण कोटामे बनलै सरकारी नोकर
तैयो अगिला कुर्सीपर ज्ञानी हेबे करतै
कोना दिन आजुक घुसकत बिनु सजनी काटै घर
छै चिन्ता ,बिनु हमरा कोना सजनी हेबे करतै
बचले रह बौआ विज्ञापन सन फूसिक खेलसँ
चलचित्रक घर नै सत्यक वाणी हेबे करतै
13 टा दीर्घ सब पाँतिमे
अमित मिश्र
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