गजल-1.33
तोरे मोन बीच हमरो मोनक टोल
जतऽ छै हमर गीत आ तोहर मधुबोल
नवका रीत नवल जीवनमे छै भरल
पुरना नियम छोड़ि घर घर झारह झोल
बाजै सत्त गप किओ जे कागा बनि कऽ
ओकर पाँखि काटि दै आ थकुचै लोल
गाछी भरल बबुर काँटे पसरल बाट
धर्मक बाट बीच छै सत्ता सन पोल
की एते खसल मनुख दू टाका लेल
जे भेटल नगरक बीच्चे देहक मोल
अपने घरक दर्द की कम छल कह "अमित"
जे सबहक करेज झाँपल दर्दक खोल
मफऊलात-मुस्तफइलुन-मफऊलात
2221-2122-2221
अमित मिश्र
तोरे मोन बीच हमरो मोनक टोल
जतऽ छै हमर गीत आ तोहर मधुबोल
नवका रीत नवल जीवनमे छै भरल
पुरना नियम छोड़ि घर घर झारह झोल
बाजै सत्त गप किओ जे कागा बनि कऽ
ओकर पाँखि काटि दै आ थकुचै लोल
गाछी भरल बबुर काँटे पसरल बाट
धर्मक बाट बीच छै सत्ता सन पोल
की एते खसल मनुख दू टाका लेल
जे भेटल नगरक बीच्चे देहक मोल
अपने घरक दर्द की कम छल कह "अमित"
जे सबहक करेज झाँपल दर्दक खोल
मफऊलात-मुस्तफइलुन-मफऊलात
2221-2122-2221
अमित मिश्र
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