बाल गजल-१८
बोहनिक बेर छै बटुआ ओरियेने जाएत छल
फुकना लिअ' फुकना लिअ' चिचियेने जाएत छल
सभटा फुकना के फूंकि-फूंकि डोरा लए बान्हि-बान्हि
ओकरा ठेंगामे खोंसि-खोंसि सरियेने जाएत छल
मगन मस्त भेल झूमि-झूमि गामे-गाम घूमि-घूमि
फूलल - फूलल फुकना के उड़ियेने जाएत छल
गहिंकीक बड़ भीड़ छलै नेन्ना सभ अधीर छलै
तइयो सौदा सभसँ धरि फरियेने जाएत छल
अनमन लागैत छैक सींग पुछरी आ पाँखि सन
एना फुकनामे फुकने के सन्हियेने जाएत छल
बेसी नमहर फुलाबयमे फुकना जे फूटि गेलै
ओ मोने-मोन सभके आब गरियेने जाएत छल
एकटा फुकना के फुटलासँ चारि आना छूटि गेलै
रहि - रहिकऽ केश "नवल" कुड़ियेने जाएत छल
*आखर-१९ (तिथि-११.०९.२०१२)
पंकज चौधरी (नवलश्री)
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