गजल
कखनो घटि सकै छैक घटना की करब
बरसै अनदिनो मेघ ठनका की करब
नै कहि राशि नक्षत्र कखन जेतै बदलि
घुर्णन तेज धीरेक रचना की करब
सामाजिक कते संकुचित भेलै आइ
मनुखक छै घृणा द्वेष गहना की करब
बहलै कतसँ ओ पवन जे छूलक मोन
स्वर्गक गप छलै फेर सपना की करब
छल सड़कपर घूमैत हत्यारा आइ
तैयो छूटि गेलै सरगना की करब
पूनम राति कोहबरमे दोसर चान
प्रेमे मात्र छै मूँह बजना की करब
मफऊलातु-मुस्तफइलुन-मफऊलातु
2221-2212-2221
बहरे-हमीद
अमित मिश्र
कखनो घटि सकै छैक घटना की करब
बरसै अनदिनो मेघ ठनका की करब
नै कहि राशि नक्षत्र कखन जेतै बदलि
घुर्णन तेज धीरेक रचना की करब
सामाजिक कते संकुचित भेलै आइ
मनुखक छै घृणा द्वेष गहना की करब
बहलै कतसँ ओ पवन जे छूलक मोन
स्वर्गक गप छलै फेर सपना की करब
छल सड़कपर घूमैत हत्यारा आइ
तैयो छूटि गेलै सरगना की करब
पूनम राति कोहबरमे दोसर चान
प्रेमे मात्र छै मूँह बजना की करब
मफऊलातु-मुस्तफइलुन-मफऊलातु
2221-2212-2221
बहरे-हमीद
अमित मिश्र
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें