बाल गजल-१९
पोथीक पछिला पन्ना परमे चित्र पाड़ि क' मेटा रहल छौ
रगड़ि-रगड़ि क' फेरो भैया देख मेटौना सधा रहल छौ
कसि-कसि क' लिखैत छौ माँ गै फाटि रहल छै सभटा पन्ना
पेन्सिल - नोकी तोड़ि क' अपने नाउ हम्मर लगा रहल छौ
अप्पन सबक छै ओहिना धएले हमरा पाठ पढ़ाबै छौ
किछु नै आबै छै माँ एकरा सभटा गलते पढ़ा रहल छौ
झडुआ-मडुआ केर पन्नीमे काल्हि जे छोटकी लट्टू भेटलै
पलथीक बीचमे नुका-नुका क' चुप्पे लट्टू नचा रहल छौ
करै छौ भैया बड़ बदमाशी माए दे एकरा कान कनैठी
जानि-बूझि क' बेर-बेर ओ फूँकि क' डिबिया मिझा रहल छौ
प्यास लगै बस अदहा घोंटक पिबते देरी मुत्तियो लागै
लोटे-लोटे पानि उझलि क' संउसे कपड़ा भिजा रहल छौ
भनसाघर दिस मारि क' हुलकी कहैए भूजा भूजै छै माँ
"नवल" फाड़ि क' सादे पन्ना कागतक बाटी बना रहल छौ
*आखर-२२ (तिथि-१२.०१.२०१३)
©पंकज चौधरी (नवलश्री)
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