बाल गजल-91
जतऽ चान सूरज ओतऽ पहुँचत देश यौ
आगू सबसँ बढ़ि रहत भारत देश यौ
सब खेलमे हम रहब देखब हारि नै
तमगासँ भरि गोदाम राखत देश यौ
हमरे अनाजसँ पेट दुनियाँ भरत यौ
हमरेसँ सब किछु पैंच माँगत देश यौ
एतै हिमालय एतऽ गंगा धार यौ
पावन अपन मिथिलासँ शोभत देश यौ
हम वीर छी हम काल छी हम जीत छी
सीमा हमर सब छोड़ि भागत देश यौ
लिअ आइ सप्पत कर्ज राखब मोन हम
निःस्वार्थ कर्मसँ हमर चमकत देश यौ
मुस्तफइलुन
2212 तीन बेर सब पाँतिमे
बहरे-रजज
अमित मिश्र
जतऽ चान सूरज ओतऽ पहुँचत देश यौ
आगू सबसँ बढ़ि रहत भारत देश यौ
सब खेलमे हम रहब देखब हारि नै
तमगासँ भरि गोदाम राखत देश यौ
हमरे अनाजसँ पेट दुनियाँ भरत यौ
हमरेसँ सब किछु पैंच माँगत देश यौ
एतै हिमालय एतऽ गंगा धार यौ
पावन अपन मिथिलासँ शोभत देश यौ
हम वीर छी हम काल छी हम जीत छी
सीमा हमर सब छोड़ि भागत देश यौ
लिअ आइ सप्पत कर्ज राखब मोन हम
निःस्वार्थ कर्मसँ हमर चमकत देश यौ
मुस्तफइलुन
2212 तीन बेर सब पाँतिमे
बहरे-रजज
अमित मिश्र
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