बाल गजल-96
लहरि सागरक गाबै छै
गीत कल कल सुनाबै छै
पानि सदिखन मचोरै ओ
ढेह जे बनि कऽ आबै छै
कात आनै कते दूरसँ
शीप मोती बहाबै छै
सूर्यकें जतऽ डुबाबै ओ
चान ओतै उगाबै छै
ई तँ कखनो रुकै नै छै
बढ़ब आगू सिखाबै छै
पानिमे जे लवण घोरल
नीक भोजन बनाबै छै
मान छै ई तँ उपकारी
अपन नदिकेँ बनाबै छै
फाइलातुन-मफाईलुन
2122-1222
लहरि सागरक गाबै छै
गीत कल कल सुनाबै छै
पानि सदिखन मचोरै ओ
ढेह जे बनि कऽ आबै छै
कात आनै कते दूरसँ
शीप मोती बहाबै छै
सूर्यकें जतऽ डुबाबै ओ
चान ओतै उगाबै छै
ई तँ कखनो रुकै नै छै
बढ़ब आगू सिखाबै छै
पानिमे जे लवण घोरल
नीक भोजन बनाबै छै
मान छै ई तँ उपकारी
अपन नदिकेँ बनाबै छै
फाइलातुन-मफाईलुन
2122-1222
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें