बाल गजल-२१
देख भेलै भोर भैया
आब आलस छोड़ भैया
दाय-बाबा माय-बाबू
लाग सभके गोर भैया
गाछ नीमक ऊँच बड़ छै
चढ़ि क’ दतमनि तोड़ भैया
धो क’ मुँह चल ने नहा ली
भूख मारय जोर भैया
दालि बेशी भात ले कम
खूब खो तिलकोर भैया
खा क’ पुनि पोथी ल’ बैसी
चल पढ़ै छी थोड़ भैया
चल चलै छी खेल खेलब
बनि सिपाही-चोर भैया
ई सिनेहक ताग कहियो
होय नै कमजोर भैया
तों “नवल” भैया हमर छें
हम बहिनिया तोर भैया
*बहरे रमल/मात्रा क्रम-२१२२+२१२२
©पंकज चौधरी “नवलश्री”
(तिथि-१७.०१.२०१३)
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