हमरा इ सूचित करैत बड्ड नीक लागि रहल अछि जे " अनचिन्हार आखर"द्वारा स्थापित " गजल कमला-कोशी-बागमती-महानंदा" सम्मानक ( बाल गजलक लेल ) पहिल चरण बर्ख-2012 ( मास दिसम्बर लेल ) पूरा भए गेल अछि। मास दिसम्बर लेल श्रीमती इरा मल्लिक जीक एहि रचना के चयन कएल गेलैन्हि अछि। हुनका बधाइ।
ई पोथी तँ हम नै पढ़बै ई तँ बहुत मोटगर छै
मुदा लगैए पढ़हे पड़तै करची बड्ड पातर छै
मिठका पुआ पकबै बाबी छन-मन भनसा घरमे
जत्ते सुन्दरि हम्मर बाबी ततबे पूआ मिठगर छै
बनलै पूआ लगलै भूख गे बुढ़िया हमरा तँ बेसी दे
ई धानी पातक चटनी तँ लागै बहुत झँसगर छै
ओकरा तँ बाबी देलकै छोटकी पूआ वाह भाइ वाह
रे नंगटा देखही हम्मर थारी तँ खुब्बे भरिगर छै
नेना भुटका मगन भेल छै बाबी हँसै छै तरे-तर
हमरा लेल तँ देवी छै जकरासँ घर डटगर छै
कौआ रे नै कर लुप-लुप पूआ धेने छौ बाबी तोरो ले
गाछसँ तों निच्चा उतर आमक गाछ झमटगर छै
सरल वार्णिक २०
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें