रुबाइ-136
विद्रोहक आगि जड़िते रहै घी ढारू
आशक लावा बनैत रहै बालु जाड़ू
सुनगत जा धरि करेज ता धरि जीबित छी
तेँ बेसी मृदु बनि अपनाकेँ नै मारू
विद्रोहक आगि जड़िते रहै घी ढारू
आशक लावा बनैत रहै बालु जाड़ू
सुनगत जा धरि करेज ता धरि जीबित छी
तेँ बेसी मृदु बनि अपनाकेँ नै मारू
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