ऐ खेप एकटा नव विधापर गप्प करी। ऐ विधाक नाम थिक " माहिया " । ई विधा मूलतः पंजाबी साहित्य केर थिक आ पंजाबीसँ उर्दूमे आएल आ तकरा बाद सभ भाषामे पसरल। ई विधा मात्र तीन पाँति केर होइत छै जाहिमे पहिल पाँतिमे 12 मात्रा दोसरमे 10 मात्रा आ फेर तेसरमे 12 मात्रा होइत छै आ सङ्गे-सङ्ग पहिल पाँति आ तेसर पाँतिमे काफिया ( तुकान्त ) होइत छै... तँ देखी एकर संरचनाकेँ------
पंजाबीमे माहियाक पहिल पाँतिक संरचना अधिकांशतः 2211222 अछि मने दीर्घ-दीर्घ-लघु-लघु-दीर्घ-दीर् घ-दीर्घ।
तेनाहिते दोसर पाँतिक संरचना अछि 211222 दीर्घ-लघु-लघु-दीर्घ-दीर्घ-दीर् घ
आ फेर तेसर पाँतिक संरचना पहिल पाँतिक बराबर अछि मने 2211222 मने दीर्घ-दीर्घ-लघु-लघु-दीर्घ-दीर् घ-दीर्घ।
ओना ई अधिकांश संरचना अछि। ऐकेँ अलावे किछु हेड़-फेड़क संग आन-आन संरचना सेहो भेटैत अछि। मुदा ई निश्चित छै जे हरेक पाँतिमे दीर्घक बेसी संख्या रहने लयमे ई खूब आबि जाइत छै
माहिया छन्दमे अर्थक चारि तरहें विस्तार होइत छै...
१) या तँ पहिल आ दोसर पाँति मीलि कए एकटा अर्थकेँ ध्वनित करै आ तेसर पाँति अलग रहै,
२) या तँ दोसर पाँति आ तेसर पाँति मीलि कए कएटा अर्थकेँ द्वनित करै आ पहिल पाँति अलग रहै,
३) या तीनू पाँति मीलि कए एकटा अर्थकेँ ध्वनित करै
४) या दोसर पाँति एहन होइ जे पहिलो पाँति सङ्ग मीलि अलग अर्थ दै वा तेसर पाँति सङ्ग मीलि अलग अर्थ दै।
माहिया छन्दक स्थायी अधार श्रृगांर रस थिक मुदा आधुनिक समयमे ई हरेक विषयमे लिखल जाइत अछि। उदाहरण स्वरूप देखू हमर दूटा माहिया---
१) तीरसँ ने तरुआरिसँ
हम डरै छी आब
हुनक नजरिकेँ मारिसँ
२) डोलैए मोन हमर
उठल आँखिसँ भाइ
करेज मथैए हमर
मैथिलीमे ई माहिया छन्द अज्ञात अछि.. आउ एकरो आगू बढ़ाएल जाए..... खास कए जे कवि श्रृगांर रसमे भीजल रहै छथि।
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