गुरुवार, 31 जनवरी 2013

गजल

गजल-3

बीतल समय नै घुरि कऽ आबै छै
सबटा लोक बैस एतबे गाबै छै

समय सँ बड़का नै कोनो खजाना
जिनगी मे जीतल जीत हराबै छै

मोल एकर जे बूझि नै सकलनि
तँ किए नहुँ-नहुँ नोर बहाबै छै

कपट द्वेष सँ मोन आन्हर अछि
आँखि मुनि भाग्य ठोकर पाबै छै

झुलसि दुपहरिया बाट चलै छै
थम्हि कऽ मीठगर राग सुनाबै छै

समय संगहि सब दौड़ लगाबै
"सुमित"कर्मक
ल फरियाबै छै

वर्ण-13
सुमित मिश्र
करियन ,समस्तीपुर

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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों