गजल-3
बीतल समय नै घुरि कऽ आबै छै
सबटा लोक बैस एतबे गाबै छै
समय सँ बड़का नै कोनो खजाना
जिनगी मे जीतल जीत हराबै छै
मोल एकर जे बूझि नै सकलनि
तँ किए नहुँ-नहुँ नोर बहाबै छै
कपट द्वेष सँ मोन आन्हर अछि
आँखि मुनि भाग्य ठोकर पाबै छै
झुलसि दुपहरिया बाट चलै छै
थम्हि कऽ मीठगर राग सुनाबै छै
समय संगहि सब दौड़ लगाबै
"सुमित"कर्मक बल फरियाबै छै
वर्ण-13
सुमित मिश्र
करियन ,समस्तीपुर
बीतल समय नै घुरि कऽ आबै छै
सबटा लोक बैस एतबे गाबै छै
समय सँ बड़का नै कोनो खजाना
जिनगी मे जीतल जीत हराबै छै
मोल एकर जे बूझि नै सकलनि
तँ किए नहुँ-नहुँ नोर बहाबै छै
कपट द्वेष सँ मोन आन्हर अछि
आँखि मुनि भाग्य ठोकर पाबै छै
झुलसि दुपहरिया बाट चलै छै
थम्हि कऽ मीठगर राग सुनाबै छै
समय संगहि सब दौड़ लगाबै
"सुमित"कर्मक बल फरियाबै छै
वर्ण-13
सुमित मिश्र
करियन ,समस्तीपुर
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें